क्या है डिजिटल रुपए (E-Rupee) ?

एक Digital Rupee साधारण करन्सी का ही इलेक्ट्रॉनिक रूप होगा, जिसे ख़ासतौर से रिटेल (खुदरा) ट्रांसेक्शन या लेन-देन के लिए ही इस्तेमाल किया जायेगा। RBI के अनुसार, ये रिटेल डिजिटल रुपया एक डिजिटल टोकन होगा, जिसे कानूनी मान्यता प्राप्त होगी। ये Central Bank digital currency (CBDC), RBI के द्वार मान्य है, तो इसे आप सेटलमेंट अन्य भुगतानों के उद्देश्य से भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

डिजिटल रूपए या E-Rupee को कैसे इस्तेमाल करें ?

सबसे पहली बात, डिजिटल करन्सी की भी उतनी ही मान्यता या वैल्यू है, जितनी आपकी साधारण या पारम्परिक मुद्रा की। E-Rupee को भी हम मोबाइल फ़ोन, डिजिटल वॉलेट या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों द्वारा ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए इस्तेमाल कर पाएंगे। RBI के अनुसार वव्यापारी डिजिटल रूपए को QR कोड द्वारा इस्तेमाल कर पायने, जो कि व्यापारियों की लोकेशन या दुकानों पर मौजूद रहेगा। E-Rupee, वो सभी सुविधाएं देने में सक्षम होगा, जो कैश या फिज़िकल करन्सी से मिलती है, जैसे किसी लोन का भुगतान करना, इत्यादि। हालांकि इसे डिपॉज़िट रखने पर आपको ब्याज नहीं मिलेगा, जैसे आपको बैंक में अपनी जमा राशि पर मिलता है।

सबसे पहले किन बैंकों और शहरों में शुरू होगी E-Rupee की सुविधा ?

RBI के अनुसार डिजिटल रूपए की सुविधा चरणबद्ध तरीके से होगी। फिलहाल ये एक पायलट प्रोजेक्ट है और सबसे पहले चरण में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और भुबनेश्वर के साथ इसकी शुरुआत होगी। इसके बाद अहमदाबाद, गंगटोक, इंदौर, कोच्ची, लखनऊ, पटना, शिमला, गुवाहाटी और हैदराबाद में E-Rupee को दूसरे चरण में लाया जायेगा। RBI द्वारा पूरे देश से आठ बैंक इस पायलट प्रोग्राम का हिस्सा बनेंगे। इन बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank), येस बैंक (Yes Bank) और IDFC बैंक पहले चरण में इस प्रोग्राम में आएंगे। वहीँ दूसरे चरण में बैंक ऑफ़ बरोड़ा (Bank of Baroda), यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया (Union Bank of India), HDFC बैंक और कोटक महिंद्रा (Kotak Mahindra) इस पायलट प्रोग्राम से जुड़ेंगे।

डिजिटल रूपए के पायलट प्रोग्राम का क्या उद्देश्य है और ये UPI से किस तरह अलग है ?

E-Rupee के पायलट प्रोग्राम द्वारा ये जानने की कोशिश होगी कि वास्तव में डिजिटल रुपयों को बनाने, उन्हें बांटने और रिटेल या लेन-ददेन में इस्तेमाल करने की पूरी प्रक्रिया कितने समय में सुचारु रूप से चल पायेगी। इसी के आधार पर दूसरे चरण या दूसरे पायलट प्रोग्राम में ई-टोकन और आर्किटेक्चर की बाकी विशेषताओं की जांच की जा सकेगी। UPI में आप जो भी ट्रांसैक्शन करते हैं, वो बैंक से होती है या कह लीजिये कि बैंक को उसकी खबर होती है, लेकिन ई-रूपए में ये लेन-देन एक व्यक्ति या व्यापारी से दूसरे व्यक्ति या व्यापारी तक ही सीमित होता है।

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