24 Carat Gold Rate (24 कैरट सोने के दाम) (10 ग्राम) – ₹51,23022 Carat Gold Price (22 कैरट सोने के दाम) (10 ग्राम) – ₹ 46,930
सोने में इन्वेस्ट यानि निवेश करना हो, या किसी त्यौहार या शादी के अवसर पर सोना खरीदना हो, हमारे देश में सोने के आभूषणों की बिक्री काफी होती है। अगर आप भी सोने की ज्वेलरी (आभूषण) खरीदने पर विचार कर कर रहे हैं, तो उससे सम्बंधित पूरी जानकारी काफी विस्तार से आपके लिए यहां हमने एकत्रित की है, जैसे कि आज भारत में Gold Rate यानि सोने के क्या दाम हैं ? कौन-सा सोना अच्छा है ? 24 कैरट और 22 कैरट गोल्ड में क्या अंतर है ? इत्यादि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको यहां आसानी से मिल जायेंगे।
24 कैरट सोने के आज क्या दाम हैं ?
22 कैरट सोने की आज क्या कीमत है ?
भारत के बड़े शहरों में Gold Rate (सोने के दाम) –
नोट – ये विभिन्न शहरों के सोने के दाम हैं। लेकिन इनमें GST या टैक्स शामिल नहीं है। साथ ही मेकिंग चार्ज भी अलग से आपको देना होता है। इन सब को जोड़कर आपको सोने के आभूषण खरीदने पर कितना दाम देना होगा, इसके लिए आपको अपने नज़दीकी सुनार या ज्वेलरी शॉप पर ही जानकारी मिलेगी।
24 कैरट और 22 कैरट सोने में क्या अंतर होता है?
24 कैरट सोना (24 Carat Gold)
24 कैरट गोल्ड को सबसे शुद्ध माना जाता। शुद्ध सोना या 24 कैरेट गोल्ड 99.9 प्रतिशत शुद्ध होता है। यानि इसमें सोने के अलावा और कोई धातू या मेटल मिली हुई नहीं होती। अक्सर 24 कैरट गोल्ड का उपयोग सोने के सिक्के और मोटे-मोटे बार (दिखने में छोटी ईंट जैसे) बनाने में होता है। 24 कैरट सोने के आभूषण नहीं बनते हैं।
24 कैरट सोने के आभूषण क्यों नहीं बनते ?
24 कैरट का गोल्ड सोना कोमल और लचीला होता है। चूंकि आभूषणों को बनाते समय उनमें जड़े नग या हीरों को कसकर पकड़ने की ज़रुरत है, इसलिए 24 कैरेट सोने का उपयोग इसके लचीलेपन के कारण नहीं किया जा सकता। अपने लचीलेपन के चलते, ये आसानी से तोड़ा – मरोड़ा जा सकता है और आभूषणों में अपनी पकड़ ग्रिप खो सकता है। इसके लचीलेपन के कारण इसके साथ डिजाइनिंग भी मुश्किल हो जाती है। इसीलिए आभूषणों या ज्वेलरी के लिए 22 कैरट और 18 कैरट गोल्ड इस्तेमाल किया जाता है।
22 कैरट गोल्ड (22 Carat Gold)
22 कैरट सोने को भी शुद्ध ही माना जाता है। ज्वेलरी बनाने के लिए यही सोने की सबसे शुद्ध फॉर्म है। इसमें 92% सोना और 8% सिल्वर, निकल या किसी अन्य धातु का उपयोग होता है। ये धातू इसीलिए मिलाई जाती हैं, ताकि आभूषणों में अन्य चीज़ों के साथ इसकी पकड़ मज़बूत रहे। आइये जानते हैं 24 कैरट गोल्ड और 22 कैरट गोल्ड में क्या अंतर हैं –
विभिन्न शहरों में सोने के दाम अलग होने के कारण क्या हैं ?
सोने या गोल्ड का उपयोग निवेश करने के लिए भी बहुत ज़्यादा किया जाता है, क्योंकि इसके दाम समय के साथ बढ़ते रहते हैं और अन्य चीज़ों जैसे प्रॉपर्टी में निवेश के मुकाबले इसमें आप थोड़ा-थोड़ा करके भी इन्वेस्ट कर सकते हैं, इसीलिए इसमें निवेश आसान होता है। अन्य संपत्तियों की तरह सोने की कीमतों में भी रोज़ फेर-बदल चलता रहता है। सभी शहरों में भी इसकी मांग, राज्य के टैक्स, सर्राफा संघ, मेकिंग चार्ज, इत्यादि कारणों से सोने की कीमतों में बदलाव होता रहता है। आइये विस्तार से जानते हैं, वो कारण, जिनकी वजह से सोने की कीमतें बदलती हैं।
1. मांग (डिमांड)
किसी भी अन्य वस्तु की तरह, इसकी भी मांग (डिमांड) और आपूर्ति (सप्लाई) का सोने की कीमतों पर बहुत असर होता है। डिमांड ज़्यादा हो और कम आपूर्ति यानि सप्लाई के चलते आमतौर पर कीमतों में इज़ाफ़ा नज़र आता है। इसी तरह, स्थिर या कम डिमांड हो और ज़्यादा सप्लाई या आपूर्ति हो, तो भी कीमतों में गिरावट आ सकती है। भारत में अक्सर दिवाली से ठीक पहले सोने के दाम बढ़ने की आशंका रहती है, क्योंकि इसी समय से त्योहारों और शादियों का मौसम शुरू होता है।
2. महंगाई बढ़ना
महंगाई बढ़ने के साथ अधिकतर एसेट यानि सम्पत्तियों की कीमत गिरने लगती है, लेकिन गोल्ड के दाम बढ़ते हैं। इसीलिए किसी भी विपदा में लोग इसे अपनी इन्वेस्टमेंट को संतुलित रखने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
3. इंटरेस्ट रेट
सोने और ब्याज दरों का रिश्ता उल्टा होता है, जिसका अक्सर लोग फायदा उठाते हैं। ब्याज दरें बढ़ते ही लोग ज़्यादा ब्याज लेने के लिए उसे बेच देते हैं। वहीँ ब्याज दरें घटते ही लोग कम दाम में ज़्यादा सोना खरीदते हैं, ताकि बाद में इंटरेस्ट रेट बढ़ने पर उसे बेचकर मुनाफा कमा सकें। तो ब्याज दर घटते ही, सोने की डिमांड बढ़ जाती है।
4. सरकारी खज़ाना
दुनिया में कई सरकारें अपना वित्तीय भंडार बनाये रखती हैं, जिसमें मुख्य रूप से सोना होता है। भारत में भी ऐसा ही है। सरकार इस सोने को रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की निगरानी में रखती है। ये देश की धरोहर है, लेकिन जब रिज़र्व में ये सोना सरकार द्वारा बेचे जाने वाले सोने से ज़्यादा हो जाता है, तो सप्लाई में कमी आ जाती है और फिर सोने की कीमतें बढ़ती हैं।
5. मुद्रा की कीमतों में बदलाव
अंतराष्ट्रीय बाज़ार में सोने का व्यापार US डॉलर में होता है और जब आयात के समय डॉलर को भारतीय रूपए में बदलकर देखते हैं, तो कीमतें रोज़ बदलती रहती हैं। ऐसे में भारतीय मुद्रा की कीमत कम होने से सोने का आयात करना महंगा पड़ता है।
6. दो देशों के बीच राजनीतिक तनाव
राजनीतिक तनाव जैसे कि युद्ध, में भी सोने की मांग बढ़ जाती है, क्योंकि ये एक सुरक्षित संपत्ति है, जो लोगों को परेशानी के समय काम आ सकती है। जहां युद्ध जैसी चीज़ें अधिकतर एसेट जैसे प्रॉपर्टी पर बुरा असर डालती हैं, वहीँ गोल्ड की कीमतें बढ़ जाती हैं।
7. चुंगी और एंट्री टैक्स
चुंगी और एंट्री टैक्स, राज्य सरकार या शहरों के सरकारी विभागों द्वारा वसूला जाता है। अगर आप किसी शहर के अंदर कोई सामान लेजा रहे हैं, तो आपको चुंगी कर देना होगा। वहीँ राज्य की सीमा के अंदर बड़ी मात्रा में सामान लाने पर एंट्री टैक्स देना होता है। उदाहरणत: अगर आप 30 लाख से ज़्यादा का सोना लेकर चल रहे हैं, तो किसी भी राज्य में घुसने के लिए आपको एंट्री टैक्स देना होगा। चूँकि टैक्स भी अलग-अलग होता है, तो उसका असर भी अलग-अलग राज्यों की कीमतों पर पड़ता है।
8. मेकिंग चार्ज
आभूषण खरीदते समय सोने की कीमत के साथ आपको मेकिंग चार्ज भी देना पड़ता है। ये मेकिंग चार्ज डिज़ाइन के अनुसार हर चीज़ का अलग ही होता है और अलग-अलग ज्वेलरी शॉप भी अलग मेकिंग चार्ज वसूलते हैं, जिससे ग्राहकों के लिए सोने की कीमत बदलती रहती है।
सोना (गोल्ड) खरीदने से पहले ध्यान रखें ये बातें
Gold यानि सोना एक ऐसी धातु है, जिसमें भारतीय लोग सदियों से निवेश करते आ रहे हैं। राजाओं महाराजाओं के ज़माने से सोने में निवेश चलता आ रहा है और आर्थिक सुरक्षा के पहलू से भी गोल्ड काफी महत्वपूर्ण है। इसके अलावा भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक तौर पर भी सोने का महत्व बहुत ज़्यादा है। टेक्नोलॉजी के साथ भले ही लोग डिजिटल गोल्ड में निवेश करने लगे हैं, लेकिन फिर भी वास्तविक सोने की मांग पर कोई असर नहीं है। अक्षय तृतीया और दिवाली जैसे पर्व व शादी का मौसम इसकी मांग को और भी बढ़ा देते हैं। लेकिन सोना खरीदने से पहले कुछ बातें लोगों को ज़रूर ध्यान रखनी चाहिए।
शुद्धता
सोने की कोई भी चीज़ खरीदना थोड़ा पेचीदा काम है। आज के समय में इसकी शुद्धता को जाँचना बहुत ज़रूरी है। गोल्ड की शुद्धता को अक्सर कैरट में मापते हैं और 24 कैरट सबसे शुद्ध सोना होता है, लेकिन इसमें से आभूषण नहीं बनते। ज्वेलरी डिज़ाइन करने के लिए सोने के साथ अन्य धातु को मिलाना आवश्यक है और इसके बाद बाज़ारों में 22 कैरट और 18 कैरट का सोना उपलब्ध होता है। लेकिन ये ध्यान रखें कि सोना जितना शुद्ध होता है, उतना महंगा भी।
किस प्रकार का सोना खरीदना है ?
अगर आपको निवेश के लिए ही सोना खरीदना है डिजिटल गोल्ड में विश्वास नहीं रखते तो आप सोने सिक्के, बार (छोटी ईंट के आकार का) और आभूषण खरीद सकते हैं।
सोने के सिक्के: कुछ इक्कट्ठे सोने के सिक्कों की कीमत बाज़ार में थोड़ी ज़्यादा ही होती है। हालांकि निवेश के लिए आप 24 कैरट के सबसे शुद्ध सोने के सिक्के खरीद सकते हैं। लेकिन खरीदते समय इनकी शुद्धता को परखना ज़रूरी है, तो जिसे सोने की अच्छी पहचान हो, उसकी राय अवश्य लें। गोल्ड बार: बुलियन या बार (Gold Bar) भी वास्तविक सोने में निवेश के लिए अच्छा साधन है। ये अक्सर 24 कैरट में ही उपलब्ध होते हैं, जिनमें 99.5% से 99.9% सोना ही होता है। अच्छी बात ये है कि गोल्ड बार पर सोने का वज़न और कैरट, बनाने वाले का नाम सब छपा रहता है। ज्वेलरी: वैसे सोने के आभूषण निवेश और त्योहारों, सबके अनुसार बहुत अच्छा विकल्प है। ये एक ऐसी चीज़ है जिसकी कीमत पुरानी होने के साथ घटती नहीं है। सोने के गहनों में निवेश करने पर आप इन्हें इस्तेमाल भी कर सकते हैं। किसी नज़दीकी को तोहफे के रूप में भी इन्हें दे सकते हैं। इन्वेस्टमेंट के तौर पर खरीदें, शादी-त्योहारों में इस्तेमाल करें और भविष्य में जब बेचना हो, तो भविष्य में जो सोने की कीमत होगी, उस पर बेच दें। सोने की प्रामाणिकता: भारत में भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा हॉलमार्क के साथ सोने को प्रमाणिकता प्राप्त होती है। अक्सर सुनारों के पास हॉलमार्क के साथ और इसके बिना, दोनों तरह के आभूषण होते हैं। वैसे हॉलमार्क के साथ आपको शुद्धता का भरोसा मिलता है और अक्सर बेचते समय सुनार खुद पूछता है कि ये हॉलमार्क वाली ज्वेलरी है ? सोने की कीमतें: सोने की कीमतें रोज़ बदलती हैं, अगर आप सोना खरीदना चाहते हैं, तो इन कीमतों पर रोज़ नज़र रखें और सुनार से सरकार द्वारा निर्धारित रेट पर ही इसे खरीदें। वैसे तो कीमतों के ऊपर-नीचे होने का अनुमान हम नहीं लगा सकते, लेकिन सुनार आपको इसका एक अंदाज़ा दे सकते हैं। पर थोड़ी कम कीमत पर सोना खरीदने के लिए, त्योहारों और शादियों के समय पर इसे खरीदने से बचें। सोने के रेट के अलावा अन्य खर्चा: ज्वेलरी खरीदते समय आपको सोने के अलावा उसकी बनावट का खर्च, जिसे आम तौर पर मेकिंग चार्ज कहते हैं, देना पड़ता है और साथ में GST भी लगती है। साथ ही हर दुकान और गहने का मेकिंग चार्ज भी अलग-अलग होता है। अक्सर ये ज्वेलरी के वज़न के अनुसार 8 से 16% के बीच में होता है।
फिज़िकल/ वास्तविक गोल्ड vs गोल्ड ETFs vs सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड
वास्तविक सोना, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF गोल्ड) और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, इन तीनों ही रूपों में सोने में निवेश किया जाता है, लेकिन इनमें काफी अंतर है।
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